ईरान- अमेरिका तनाव: परमाणु समझौते को लेकर ईरान ने किया बड़ा ऐलान!

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अमरीका के साथ बढ़ते तनाव के बाद अब ईरान ने खुलेतौर पर ये घोषणा कर दी है कि वो साल 2015 के परमाणु समझौते के तहत लागू की गई किसी भी पाबंदी को नहीं मानेगा।

 

जागरण डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, तेहरान में ईरानी मंत्रिमंडल की बैठक के बाद यह बयान आया है। ईरान की ओर से यह बड़ी प्रतिक्रिया तब आई है जब हाल ही में बगदाद में अमरीकी एयरस्ट्राइक में जनरल कासिम सुलेमानी की मौत हो चुकी है।

मंत्रिमंडल की बैठक के बाद ये कहा गया कि अब वो परमाणु संवर्धन के लिए अपनी क्षमता, उसका स्तर, उसको समृद्ध करने के लिए अन्य सामग्री का भंडार करने, अनुसंधान या उसको विकसित करने की किसी भी पाबंदी का पालन नहीं करेगा।

अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने 2018 में इस समझौते को रद्द कर दिया था। उन्होंने कहा था कि वो ईरान से नया समझौता करना चाहते हैं जो उसके परमाणु कार्यक्रम और बैलिस्टिक मिसाइल के विकास पर अनिश्चितकालीन रोक लगाएगा।

ईरान ने यह करने से इनकार कर दिया था और इसके बाद समझौते के तहत किए गए अपने वादों से वो पीछे हटने लगा था।

ईरान ने हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण है लेकिन संदेह ये था कि ये परमाणु बम विकसित करने का कार्यक्रम था।

इसके बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, अमरीका और यूरोपीय संघ ने 2010 में ईरान पर पाबंदी लगा दी। वर्ष 2015 में ईरान का 6 देशों के साथ एक समझौता हुआ, ये देश अमरीका, ब्रिटेन, फ़्रांस, चीन, रूस और जर्मनी थे।

इस समझौते के तहत ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रमों को सीमित किया, बदले में उसे पाबंदी से राहत मिली थी।

सबसे पहले मई 2018 में अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने समझौते को रद्द करते हुए प्रतिबंध लगाए थे। ट्रंप चाहते थे कि ईरान के साथ नया समझौता हो, जिसमें ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम और क्षेत्रीय संघर्ष में उसकी भागीदारी रोकने की बात हो।

ईरान ने इससे इनकार किया लेकिन इससे ईरान की मुद्रा स्फीति बढ़ गई और उसकी मुद्रा में गिरावट आई। मई 2019 में जब प्रतिबंधों को कड़ा किया गया तो ईरान ने भी समझौते में किए गए वादों से मुकरना शुरू कर दिया।

ट्रंप के शासनकाल में ईरान और अमरीका के बीच रिश्तों में दरार बढ़ गई। जनवरी 2020 में ये समझौता पूरी तरह टूट गया।