मार्काज़ निज़ामुद्दीन में कोरोनोवायरस के 24 लोगों के परीक्षण की रिपोर्ट के बाद, लोग भ्रमित हो रहे हैं क्योंकि निज़ामुद्दीन प्रसिद्ध सूफ़ी संत निज़ामुद्दीन औलिया से भी जुड़ा हुआ है, जिनकी कब्र वर्ष के दौरान लाखों लोगों को आकर्षित करती है, लेकिन मार्काज़ और दरगाह अलग-अलग स्थानों पर हैं। अलग-अलग कहानियां भी हैं।
जबकि मार्काज़ ने 1926 से इस्लाम का प्रचार करना शुरू कर दिया था, दरगाह सदियों पुरानी है।
The news running on @IndiaToday right now needs to be corrected. This patient stayed in Nizamuddin Markaz not in Nizamuddin Dargah. pic.twitter.com/1qYTuNVXkS
— Syed Murshid Nizami (@MurshidNizami) March 25, 2020
जब इलाके में सकारात्मक परीक्षण करने वाले लोगों की पहली खबर आई, तो उसे तुरंत दरगाह से हटा दिया गया। सज्जादानशीन सैयद मुर्शीद निज़ामी ने ट्वीट किया, “अभी चल रही खबरों को सुधारने की ज़रूरत है। यह मरीज निजामुद्दीन दरगाह में नहीं बल्कि निजामुद्दीन मरकज में रहा। ”
People who took shelter at Nizamuddin mosque are those poor helpless Muslims who were not taken home by Air India Plane. Govt is trying to make Hindu-Muslim issue by blaming the poor Muslims who were left with no choice but to gather in groups for food & shelter in lockdown!
— Salman Nizami (@SalmanNizami_) March 31, 2020
तबलीगी का अर्थ है कि अल्लाह की कही बातों का प्रचार करना और जमात का मतलब समूह, इसका अर्थ यह है कि ऐसा समूह जो अल्लाह की बातों का प्रचार और प्रसार करता है। ऐसा माना जाता है कि जमात के दुनिया भर में करीब 15 करोड़ सदस्य हैं।
FIR should be lodged against Delhi CM Kejriwal for his carelessness, be it Nizamudin or other places where people were on roads. 25+ labourers have died. There were no arrangements, people had to take shelter in mosque. Request for evacuation was ignored. This CM is incompetent!
— Salman Nizami (@SalmanNizami_) March 31, 2020
मरकज का मतलब
इसके साथ ही मरकज का अर्थ यह है वो जगह जहां इस सिलसिले में बैठक की जाती है। तबलीगी जमात से जुड़े सदस्य पारंपरिक इस्लाम के विचार को आगे बढ़ाने का दावा करते हैं।
1927 में तबलीगी जमात की स्थापना
तबलीगी जमात को साल 1927 में मुहम्मद इलियास अल कांधलवी ने भारत में शुरू किया था। हरियाणा के नूंह जिले से इस आंदोलन को आगे बढ़ाया गया।
जमात के मुख्य उद्देश्य “छ: उसूल” (कलिमा, सलात, इल्म, इक्राम-ए-मुस्लिम, इख्लास-ए-निय्यत, दावत-ओ-तबलीग) हैं। एशिया में इनकी अच्छी खासी आबादी है। निजामुद्दीन में इस जमात का मुख्यालय है।
इस जमात की शुरुआत 1927 में ही हो गई थी। लेकिन बड़ी बैठक करने में करीब 14 साल का समय लगा और 1941 में बड़ी बैठक हुई।
1947 में देश के बंटवारे से पहले तबलीगी जमात ने अलग अलग हिस्सों में जड़ जमा चुका था। धीरे-धीरे यह आंदोलन पूरी दुनिया में फैल गया।
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