यमन की ज़ंग: मरने वाले लोगों की संख्या एक लाख से अधिक हुई

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यमन पर सऊदी अरब द्वारा थोपी गयी जंग में मरने वालों की तादाद 1 लाख को पार कर गयी है।

अमरीका स्थित डेटाबेस प्रोजेक्ट एसीएलईडी का कहना है कि मार्च 2015 से सऊदी अरब की अगुवाई वाले गठबंधन और यमन की जंग में मरने वालों की तादाद 1 लाख से ज़्यादा है। ये डेटाबेस प्रोजेक्ट हिंसा के रेकार्ड इकट्ठा करता है।

पार्स टुडे डॉट कॉम के अनुसार, द आर्म्ड कॉन्फ़लिक्ट लोकेशन ऐन्ड इवेन्ट डेटा प्रोजेक्ट एसीएलईडी ने गुरुवार को एक रिपोर्ट में इस बात का एलान करते हुए कहा कि इस आंकड़े में सीधे तौर पर हुए हमलों में मारे गए 12000 आम नागरिक भी हैं।

इस रिपोर्ट के मुताबिक़, सिर्फ़ इस साल 20000 लोग मारे गए जो 2018 के बाद दूसरा सबसे ज़्यादा घातक साल था।

इस ग़ैर सरकारी संस्था ने कहा कि अप्रैल का महीना 2019 का अब तक सबसे घातक महीना था जिसमें 2500 लोग मारे गए जबकि सितंबर में 1700 लोग मारे गए।

सबसे ज़्यादा हिंसा तइज़, हुदैदा और जौफ़ प्रांतों में रही कि इसमें से हर एक क्षेत्र में 2015 से अब तक 10000 लोग मारे गए।

एसीएलईडी का कहना है कि पिछले साढ़े चार साल में सऊदी अरब की अगुवाई वाले गठबंधन और उसके घटक, सीधे हमलों में 8000 आम नागरिकों की मौत के ज़िम्मेदार हैं।

इस आंकड़े में हवाई हमले, गोलों की शेलिंग, ज़मीनी जंग, बम्बारी और हिंसक प्रदर्शन में मरने वाले शामिल हैं। हालांकि इस आंकड़े में वे मौतें शामिल नहीं हैं जो युद्ध की वजह से मानवीय संकट के जन्म लेने ख़ास तौर पर भुखमरी से हुयीं हैं।

सऊदी गठबंधन ने यमन में स्कूलों, अस्पतालों और शादी की पार्टियों पर हवाई हमले किए जिनमें हज़ारों नागरिक मारे गए।

सऊदी अरब ने यमन पर हमले में इस देश के मूल ढांचों स्कूलों, अस्पतालों और कारख़ानों को तबाह कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र संघ का कहना है कि 2 करोड़ 40 लाख यमनियों को मानवीय मदद की तुरंत ज़रूरत है जिसमें 1 करोड़ तो भुखमरी का शिकार हैं।