नागरिकता कानून के विरोध में मुजतबा हुसैन ने पद्मश्री सम्मान लौटाने का एलान किया

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उर्दू लेखक, हास्य और व्यंग्यकार पद्म पुरस्कार से सम्मानित मुजतबा हुसैन ने घोषणा की है कि वह अपना पुरस्कार सरकार को लौटा देंगे. उन्होंने कहा कि देश की मौजूदा हालत को देखते हुए उन्होंने यह फैसला लिया है. उन्होंने नागरिकता कानून को लोकतंत्र के लिए हमला बताया. मुजतबा हुसैन को साल 2007 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था.

मुजतबा हुसैन ने कहा, ”देश में अशांति, भय और नफरत की जो आग भड़काई जा रही है, वह वास्तव में परेशान करने वाली है. जिस लोकतंत्र के लिए हमने इतना दर्द झेला और जिस तरह से इसे बर्बाद किया जा रहा है कि वह निंदनीय है. इन परिस्थितियों में मैं किसी सरकारी पुरस्कार को अपने अधिकार में नहीं रखना चाहता.”

क्या कहा मुजतबा हुसैन

नागरिकता कानून और एनआरसी को लेकर हुसैन ने कहा कि मौदूदा हालत को देखते हुए वह काफी चिंतित हैं. उन्होंने कहा, ”मैं 87 साल का हूं. मैं इस देश के भविष्य को लेकर अधिक चिंतित हूं. मैं इस देश की प्रकृति के बारे में चिंतित हूं जिसे मैं अपने बच्चों और अगली पीढ़ी के लिए छोड़ता हूं.”

नागरिकता कानून को लेकर शुरू हुआ हंगामा थमने का नाम नहीं ले रहा. पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए बेसहारा हिंदू, सिख, इसाई, जैन, पारसी शरणार्थियों को नागरिकता देने वाले कानून का विरोध हो रहा है. दिल्ली, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों में हिंसक प्रदर्शन के बाद तनाव बढ़ गया है.

नागरिकता कानून की मदद से पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश सेधार्मिक उत्पीड़न के कारण वहां से भागकर आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी.