महामारी ने 122 मिलियन भारतीयों को किया बेरोजगार

,

   

कोरोना वायरस महामारी की वजह से देश की अर्थव्यवस्था बेहद बुरे दौर से गुजर रही है। ऐसे में अर्थव्यवस्था को हो रहे इस नुकसान के चलते मार्च 2020 से अप्रैल 2020 तक लगभग 12.2 करोड़ भारतीयों की नौकरी गई है।

 

इंडियन एक्सप्रेस की खबर की मानें तो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म कसेरा (Coursera ) के रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि कोरोना महामारी की वजह से दुनिया भर में व्यापार, प्रौद्योगिकी, और डेटा साइंस के क्षेत्र में भारी असर पड़ा है। साफ है कि इस क्षेत्र के प्रभावित होने की वजह से देश में बड़ी संख्या में लोग रोजगार से हाथ धो बैठे हैं।

 

बता दें कि इस महामारी ने दुनिया भर के 555 मिलियन से अधिक श्रमिकों और 200 मिलियन उच्च शिक्षा छात्रों के जीवन को प्रभावित किया है। भारत में, बेरोजगारी की दर मई की शुरुआत में 27.1 प्रतिशत तक पहुंच गई, क्योंकि मार्च और अप्रैल के बीच लगभग 122 मिलियन भारतीयों ने अपनी नौकरी खो दी।

 

स्किल बढ़ाकर लोग नौकरी पाने की कोशिश कर रहे हैं-

चूंकि कोरोना महामारी की वजह से अचानक 37.5 मिलियन छात्र बाजार में आई इस अचनाक मंदी जैसे हालात से बाहर हो गए हैं, कौरसेरा का दावा है कि उनमें से ज्यादातर स्किल कोर्स के माध्यम से अपना कौशल बढ़ाकर प्रासंगिक बने रहने की कोशिश कर रहे हैं। नौकरियों और अर्थव्यवस्थाओं को पुनर्जीवित करने के लिए, संस्थानों को कौशल विकास के लिए व्यापक स्तर पर बाजार व हालात के मुताबिक स्किल को डेवलप करने की जरूरत है ताकि लोग तेजी से कार्यबल में प्रवेश कर सकें और जांब लेकर वापस पहले की तरह से अपनी जिंदगी जी सकें।

 

डेटा साइंस स्किल के क्षेत्र में भारत की स्थिति अच्छी नहीं है-

आपको बता दें कि डेटा साइंस एक ऐसा क्षेत्र है जहां भारत की स्थिति सही नहीं है। एसेंट और क्यूलिक की एक रिपोर्ट के अनुसार, डेटा कौशल की कमी से हर साल 332 बिलियन रुपये की भारतीय फर्मों की नुकसान होती है।

 

ऐसे में महामारी के बाद के दौर में जब डेटा साइंस व डेटा मैनेजमेंट के क्षेत्र में अवसर होंगे तो भारतीय युवाओं को डेटा विज्ञान स्किल को बढ़ाना होगा। विशेषकर डेटा प्रबंधन के क्षेत्र में बेहतर स्किल डेवलप करना होगा।

 

डेटा साइंस डोमेन के क्षेत्र में भातर विश्व में 51 वें स्थान पर (पीछे से क्रम में) है। वहीं, डेटा प्रबंधन क्षमता के मामले में भारत 58 वें स्थान पर है। इस क्षेत्र में भारत की स्थिति नाइजीरिया और फिलीपींस से थोड़ा बेहतर है।

 

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी यानी CMIE की रिपोर्ट के भी काफी हद तक यही संकेत-

बता दें कि सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी यानी CMIE की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 12.2 करोड़ लोगों को पिछले महीने अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है।

 

रोजाना के कामगारों यानी दिहाड़ी मजदूरों और छोटे कारोबारियों पर इस लॉकडाउन का सबसे बुरा असर पड़ा है। वहीं वर्ल्ड बैंक के आंकड़ों के मुताबिक भारत में 1.2 करोड़ लोग बहुत ही गरीबी के दायरे में चले गए हैं।

 

वैसे कोरोना वायरस महामारी के कारण जारी लॉकडाउन का असर दुनिया के लगभग सभी देशों पर देखा जा रहा है। लेकिन जो वैश्विक गरीबी बढ़ रही है उसमें भारत बहुत तेजी से आगे बढ़ता दिख रहा है।

 

साभार- लोकमत