म्यांमार में राजनीतिक संकट के बीच दुनिया की नज़रें!

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म्‍यांमार में लोकतांत्रिक सरकार के तख्‍तापलट के बाद पूरी दुनिया की निगाहें इस पर लगी हुई हैं।

जागरण डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, इस बीच तातमदेव ने एक नॉटिफिकेशन जारी करते हुए कहा है कि पिछले वर्ष हुए आम चुनाव में कई तरह की अनियमितता बरती गई थीं। इसमें कई तरह से धांधली हुई।

सेना ने कमांडर इन चीफ मिन ऑन्‍ग ह्लेंनिग से कहा है कि इसके लिए जरूरी एक्‍शन लिया जाएग। ह्लेनिंग के नेतृत्‍व में नेशनल डिफेंस ऑफ सिक्‍योरिटी काउंसिल की बैठक हुई थी जिसमें ये फैसला लिया गया है।

इस बैठक में कार्यकारी राष्‍ट्रपति यू मिंट सुई , वाइस सीनियर जनरल सोविन, रक्षा मंत्री लेफ्टिनेंट जनरल सेनविन , गृहमंत्री लेफ्टिनेंट जनरल सू हतूत और देश की सीमाओं के मामलों के मंत्री लेफ्टिनेंट जनरल ये ऑन्‍ग शमिल हुए थे।

सेना के इस कदम के बाद देश से आने और जाने वाली सभी विमान सेवाओं को फिलहाल मई तक के लिए रोक दिया गया है।

तातमदेव ने इस नॉटिफिकेशन में कहा है कि सेना देश में दोबारा निष्‍पक्ष चुनाव करवाएगी और जीतने वाली पार्टी को सत्‍ता का हस्‍तांतरण कर देगी।

सेना ने ये भी कहा है कि उसने 2008 के संविधान के तहत देश में आपातकाल लागू किया है। साथ ही ये भी कहा गया है कि देश में कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिए सभी जरूरी उपाय किए जाएंगे और देश को आर्थिक गति भी दी जाएगी।

देश में हुए तख्‍तापलट के बाद 1 फरवरी को म्‍यांमार बैंकर्स एसोसिएशन के मुताबिक सभी बैंक बंद रहे। इसके अलावा देश में कई बड़ी सुपरमार्केट भी बंद रहीं।

सेना की इस कार्रवाई के बाद टीवी चैनल, फोन सेवा और इंटरनेट सेवा को भी बंद कर दिया गया था। कुछ जगहों पर इन सेवाओं को दोबारा शुरू किया गया है लेकिन देश के काफी बड़े हिस्‍से में ये अब भी बंद हैं।

म्‍यांमार मीडिया के मुताबिक तख्‍तापलट की कार्रवाई के बाद लोगों के बीच दहशत व्‍याप्‍त हो गई और वो कई तरह की आशंकाओं के बीच जरूरी चीजों की खरीददारी के लिए बड़े पैमाने पर बाजारों में पहुंच गए।

म्‍यांमार टाइम्‍स के मुताबिक देश में इस तरह के हालात पिछले साल 23 मार्च को देखे गए थे जब सरकार ने देश में कोविड-19 के दो मामले आने की जानकारी दी थी। दुकानों और शॉपिंग माल्‍स के बाहर सामान खरीदने वालों की लंबी लाइन देखी गईं।