VIDEO: बिगड़ते अर्थव्यवस्था पर संजय पुगलिया की रिपोर्ट!

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बजट पेश हुए 1 महीना बीत चुका है. इकनॉमी का लेखा-जोखा देखें तो कारोबार और शेयर बाजार का मूड काफी खराब है. सबसे पहले बात करते हैं ऑटो सेक्टर के कारोबार की. मारुति सुजुकी इंडिया का संकट बढ़ता जा रहा है, मारुति की बिक्री जुलाई में 33.5% घट गई है.


इसकी घरेलू बिक्री 1 लाख 54 हजार 150 यूनिट (जुलाई 2018) के मुकाबले 36.3% घटकर 98 हजार 210 यूनिट रह गई है. मारुति इकनॉमी के हालात का ‘दिशासूचक यंत्र’ माना जाता है. सेल में बढ़त यानी अच्छी इकनॉमी और सेल में गिरावट यानी इकनॉमी की हालत मंद है.

कार डीलरों के संगठन फाडा के मुताबिक बिक्री में हो रही गिरावट का नतीजा भी दिख रहा है. बीते डेढ़ साल में करीब 282 डीलरशिप बंद हो चुकी है. आने वाले दिनों में प्रोडक्शन में और गिरावट आ सकती है.

इस महीने 17 साल बाद सबसे ज्यादा गिरावट के साथ शेयर बाजार बंद होने की खबर आई. बड़े से बड़े शेयर 10 से 50% तक टूटकर ध्वस्त हो चुके हैं. मिड कैप और स्मॉल कैप की हालत और खराब है. इसकी वजह ये है कि फॉरेन फ्लो यानी विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) का पैसा आना बंद हो गया. इन फ्लो लगातार गिर रहा था.

अब वो आउट फ्लो में बदल गया है. इस वक्त निगेटिव कैश फ्लो है. एफपीआई जुलाई के महीने में 15 हजार करोड़ रुपये का इन्वेस्टमेंट लेकर चले गए हैं.

साभार- दि क्विंट हिन्दी