पश्चिम बंगाल चुनाव में क्या होगा ओवैसी की पार्टी का रोल और क्या किंग मेकर बनना चाहेंगे ISF?

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पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 से पहले राज्य में सियासी सुगबुगाहट तेज होते जा रही है। बंगाल में फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दिकी ने दावा किया ह कि राज्य में ओवैसी की पार्टी का कांग्रेस से गठबंधन हो सकता है।

प्रभात खबर पर छपी खबर के अनुसार, उन्होंने कहा कि बंगाल चुनाव से पहले में इस कोशिश में लगा हूं। पीरजाादा के इस दावे से सियासी हलकों में भूचाल आ गया है। बता दें कि बंगाल चुनाव में ओवैसी अपने पार्टी के बैनर तले चुनाव नहीं लड़ेंगे, वे पीरजादा की पार्टी के बैनर तले ही चुनाव लड़ेंगे।

फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दिकी वाममोर्चा-कांग्रेस के साथ-साथ ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के साथ राजनीनिक गठबंधन करना चाहते हैं।

अपने करीबियों के बीच वह यही संकेत दे रहे हैं. उल्लेखनीय है कि विगत 21 जनवरी को अब्बास सिद्दिकी ने अपनी पार्टी इंडियन सेकुलर फ्रंट (ISF) की घोषणा की थी। उससे बहुत पहले ही वह विधानसभा चुनाव की तैयारियों में भी जुट गये थे।

वहीं, गठबंधन के बारे में बात करने के लिए एआइएमआइएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी तीन जनवरी को फुरफरा शरीफ आये थे. दोनों के बीच लंबी बैठक भी हुई थी।

इसके अलावा, अब्बास वाम-कांग्रेस गठबंधन में शामिल होने के लिए कई दफा प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर चौधरी और माकपा के प्रदेश सचिव सूर्यकांत मिश्रा से भी बात की. हालांकि, वाम-कांग्रेस को ओवैसी की पार्टी के साथ गठबंधन पर आपत्ति है, पर अब्बास को साथ लेकर चलने में दिलचस्पी है।

वाम-कांग्रेस गठबंधन AIMIM के साथ किसी भी सीट पर बातचीत करने को तैयार नहीं है। वामपंथी विधायक और फॉरवर्ड ब्लॉक के नेता अली इमरान राम्ज के अनुसार : हम राजनीतिक कारणों से असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के साथ गठबंधन नहीं कर सकते हैं।

हम इस पार्टी के इतिहास को जानते हैं. हालांकि यह पार्टी बंगाल में मुस्लिम समुदाय के हितों की बात करती है, लेकिन इसका मकसद बंटवारे की राजनीति करना है। ऐसे में हम ओवैसी की पार्टी के साथ गठबंधन नहीं कर सकते हैं।

गौरतलब है कि एआइएमआइएम तेलंगाना केंद्रित राजनीतिक पार्टी है. हालांकि गत वर्ष बिहार विधानसभा चुनाव में उसे आश्चर्यजनक सफलता मिली थी।

उसके बाद ओवैसी ने बंगाल की राजनीति में भी दिलचस्पी दिखाते हुए यहां गठबंधन की तलाश में जुटे हुए हैं।

हालांकि अगर अब्बास सिद्दिकी की पार्टी ने एआइएमआइएम के साथ गठबंधन करती हैं, तो कांग्रेस के लिए भी उस गठबंधन में बने रहना संभव नहीं होगा।

विपक्ष के नेता अब्दुल मन्नान ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिख कर अनुरोध किया कि केवल अब्बास की पार्टी ही गठबंधन में शामिल हो।

वहीं, इंडियन सेकुलर फ्रंट ने भी अपने विचार साफ कर दिये हैं। मोर्चा के अध्यक्ष नौशाद सिद्दिकी का कहना है कि वाम-कांग्रेस गठबंधन अपनी स्थिति के बारे में बात कर रहे हैं।

इस समय हमने भी कुछ रणनीति बनायी है, जिस पर हम कायम रहेंगे. भारतीय राजनीति के इतिहास में देखा जा सकता है कि कांग्रेस भी उन दलों के साथ गठबंधन की, जिनके खिलाफ सांप्रदायिक राजनीति के आरोप थे।

अब महाराष्ट्र में कांग्रेस ने फिर से शिवसेना की मदद से सरकार बनायी है और माकपा का अन्य राज्यों में मुस्लिम लीग के साथ गठबंधन भी है। ऐसे में अगर हम एआइएमआइएम के साथ जाते हैं, तो किसी को भला क्यों आपत्ति हो सकती है।