केंद्र को जमीनी हालात को ध्यान में रखकर पॉलिसी में बदलाव जरूर करना चाहिए- सुप्रीम कोर्ट

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सुप्रीम कोर्ट ने कोविड मैनेजमेंट से जुड़ी याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई की।

भास्कर डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस रवींद्र भट की बेंच ने वैक्सीनेशन के लिए कोविन ऐप पर रजिस्ट्रेशन की बाध्यता को लेकर भी सवाल किया।

अदालत ने कहा कि झारखंड के किसी मजदूर का राजस्थान में रजिस्ट्रेशन कैसे होगा? केंद्र डिजिटल इंडिया की बात करता है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में हालात अलग हैं। इसलिए केंद्र को जमीनी हालात को ध्यान में रखकर पॉलिसी में बदलाव जरूर करना चाहिए।

केंद्र कहता है कि ज्यादा मात्रा में वैक्सीन खरीदने पर उसे काम दाम चुकाने पड़ रहे हैं। अगर आपका यही तर्क है तो राज्यों को वैक्सीन के ज्यादा दाम क्यों देने पड़ रहे हैं? देशभर में वैक्सीन के दाम एक जैसे रखे जाने की जरूरत है। पिछले दो महीने में महामारी बढ़ी है।

जिन ग्रामीण इलाकों में लोग डिजिटल प्रणाली से वाकिफ नहीं हैं, उनके वैक्सीनेशन के लिए क्या किया जा रहा है? आपने कहा था कि ग्रामीण एनजीओ के जरिए कोविन ऐप पर रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं।

हमारी अदालत के क्लर्क और सचिवों ने कोविन पर रजिस्ट्रेशन की कोशिश की है, ताकि यह जान सकें कि ऐप किस तरह से काम करती है।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने हिदायती लहजे में कहा- वैक्सीनेशन पॉलिसी में कोविन ऐप पर रजिस्ट्रेशन को जरूरी बताया गया है। इसमें डिजिटल इंडिया के असल हालात को ध्यान में नहीं रखा गया।

पॉलिसी बनाने वालों को जमीनी हालत से वाकिफ होना ही चाहिए। अगर हमें ये करना होता तो हम 10-15 दिन पहले ऐसा कर चुके होते। हम चाहते हैं कि आप हकीकत से वाकिफ हों कि देश में क्या हो रहा है। आप जरूरी बदलाव करें।

आप लगातार कह रहे हैं कि वैक्सीनेशन बहुत तेजी से चल रहा है। पर आप जमीनी हालात पर भी नजर रखिए। आप डिजिटल इंडिया-डिजिटल इंडिया कहते रहते हैं, लेकिन वास्तव में ग्रामीण इलाकों के हालात अलग हैं।

झारखंड के एक अशिक्षित मजदूर का राजस्थान में रजिस्ट्रेशन कैसे होगा? हमें बताइए कि इस डिजिटल विरोधाभास को आप कैसे दूर करेंगे।

क्या केंद्र की पॉलिसी यह है कि राज्य और म्युनिसिपल कॉरपोरेशन अपने लिए वैक्सीन की व्यवस्था कर सकते हैं या फिर केंद्र नोडल एजेंसी की तरह उनके लिए वैक्सीन की व्यवस्था करेगी?

पंजाब और दिल्ली जैसे राज्य अपने लिए वैक्सीन की व्यवस्था करने के लिए ग्लोबल टेंडर निकाल रहे हैं? इस पॉलिसी को लेकर आपके क्या तर्क हैं? हम इस बारे में स्पष्टता चाहते हैं।

सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणियों के बाद केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में वैक्सीनेशन को लेकर अपना हलफनामा दाखिल किया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वैक्सीनेशन को लेकर अच्छी खबर है।

हमारे अनुमान के मुताबिक, इस साल के आखिर तक सभी एलिजिबल लोगों का वैक्सीनेशन पूरा हो जाएगा। सरकार विदेशी कंपनियों से तेजी से बातचीत कर रही है।

हम सकारात्मक हैं और हमें उम्मीद है कि विदेशी वैक्सीन भी हमें जल्द मिल जाएंगी। कोविन पर रजिस्ट्रेशन को लेकर केंद्र ने कहा- हमारी पॉलिसी पत्थर पर नहीं गढ़ी गई है। ये बहुत लचीली है।

8 मई को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने 12 सदस्यीय नेशनल टास्क फोर्स बनाने का आदेश दिया था।

अदालत का तर्क था कि इस टास्क फोर्स से मिले इनपुट पॉलिसी मेकर्स को मौजूदा मुश्किलों को सुलझाने में मदद करेंगे।