क्या ईरान और भारत में सैनिकों पर हमलें एक जैसे थे?

   

सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए और इसकी जिम्मेदारी पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली है। सिस्तान-बलूचिस्तान क्रॉस बॉर्डर इलाके में आईआरजीएस की बस पर हुए हमले में 27 जवान मरे गए।पाकिस्तान के तथाकथित जैश-उल-अदल आतंकवादी समूह ने इस हमले की जिम्मेदारी ली।

अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, दोनों ही देशों ने पाकिस्तान को बुरे परिणाम भुगतने की धमकी दी है।पाकिस्तान ने भारत-ईरान से कहा, वे पहले हमले का सबूत दें कि उसमें हमारा हाथ है।इतना ही नहीं, डर कर पाकिस्तान ने दोनों देशों से यह भी कहा है कि बातचीत का विकल्प खुला है।

बता दें कि पुलवामा हमले से एक दिन पहले आईआरजीसी कर्मी सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत के जाहेदान व खश शहरों के बीच यात्रा कर रहे थे।उनकी बस को एक आत्मघाती कार बम हमले में निशाना बनाया गया था।आईआरजीसी के ग्राउंड फोर्स ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद पपौर के कमांडर का कहना था, आत्मघाती हमलावर पाकिस्तानी थे।

उनमें से हाफिज मोहम्मद अली के रूप में एक हमलावर की पहचान भी कर ली गई। पाकिस्तान पर जब दोनों देशों ने दबाव बनाया तो वह पहले की भांति इन हमलों से अपना पल्ला झाड़ने लगा।पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने दोनों देशों से कहा, वे आतंकी हमलों में पाकिस्तान का हाथ होने के सबूत दे दें, हम कार्रवाई करने के लिए तैयार हैं।यह एक बड़ा तथ्य है कि क्रॉस-बॉर्डर हमले इस्लामाबाद-तेहरान संबंधों के रास्ते में सबसे बड़ी अड़चन हैं।

पाकिस्तान और ईरान मामलों के विशेषज्ञ सरल शर्मा बताते हैं कि भले ही दोनों मुस्लिम देश हैं, लेकिन दोनों के बीच संबंध उतने अच्छे नहीं हैं।पाकिस्तान को चूंकि साउदी अरब से आर्थिक मदद मिलती है, इसलिए वह ईरान से थोड़ी दूरी बनाकर चलता है।

साउदी अरब में सुन्नी समुदाय है, जबकि पाकिस्तान में सुन्नी के अलावा सिया मुस्लिमों की भी खासी तादाद है। पाकिस्तान और ईरान के बीच खुला बॉर्डर होने के कारण सुन्नी अटैक करते हैं।पाकिस्तान को यह लगता है कि ईरान भारत की ओर जा रहा है।

ईरान पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियों से परेशान है।दूसरी तरफ़, पाकिस्तान को ईरान से कोई मदद भी नहीं मिलती, क्योंकि ईरान ख़ुद कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध झेल रहा है।

ऐसे में दोनों देशों की यही सोच रहती है कि सम्बंध अच्छे नहीं हो सकते तो बिगड़े भी नहीं। हमले के पाकिस्तान की ओर से यह कहा जा रहा है कि भारत और ईरान को इस संवेदनशील मुद्दे का समाधान करने के लिए कूटनीतिक चैनलों का उपयोग करना चाहिए।सरल शर्मा का कहना है कि पाकिस्तान आतंक के मामले में भारत और ईरान, दोनों के सामने बेनक़ाब हो चुका है।