भारत को महामारी से लड़ने में सहायता दें : चीनी नेटिजेंस

   

बीजिंग, 27 अप्रैल । भारत में हाल ही में न्यू कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर ने व्यापक अंतर्राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया है। प्रकोप के अचानक हमले के कारण भारत चिकित्सा आपूर्ति की गंभीर अभाव से ग्रस्त है। उधर, महामारी का विरोध करने के बारे में चीनी नेटिजेंस में ऐसा एक गर्म विषय है कि क्या चीन को भारत को चिकित्सा सहायता प्रदान करना चाहिए या नहीं।

भारत में वर्तमान में कई चिकित्सा आपूर्ति का अभाव है। उदाहरण के लिए ऑक्सीजन की कमी भी नजर आई है। भारत में लगभग 500 ऑक्सीजन विनिर्माण संयंत्र हैं, जो प्रतिदिन लगभग 5,000 टन ऑक्सीजन का उत्पादन कर सकते हैं, जिनमें से अधिकांश औद्योगिक उपयोग के लिए हैं।

उधर प्रकोप के बाद, भारतीय अस्पतालों और नर्सिग केंद्रों की दैनिक ऑक्सीजन की खपत 2,700 टन हो गई। यदि औद्योगिक ऑक्सीजन को कटौती की जाती है, तो आर्थिक विकास को भी नुकसान होगा। इसके अलावा भारत को टीकों के उत्पादन में भी कच्चे माल की समस्याओं का सामना करना पड़ा। वहीं, चीन के पास दुनिया में सबसे शक्तिशाली चिकित्सा सामग्री उत्पादन क्षमता है और चीन ने अच्छी तरह कोविड-19 महामारी को नियंत्रित किया है, चीन भारत को मदद देने में सक्षम है।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने अनेक बार स्पष्ट कर दिया है कि चीन भारत को सहायता देने के लिए तैयार है, पर इससे चीनी नेटिजन्स के बीच तीखी बहस हुई। आखिरकार, चीन और भारत के बीच अभी भी सीमा विवाद चल रहा है। डोंगलांग (डोकलाम ) टकराव के अलावा, दोनों देशों के सैनिकों के बीच पिछले साल गलवान घाटी में हुए संघर्ष में भी भारी हताहत हुई। भारत ने वीजैट और टिक टॉक जैसे कई चीनी ऐप को भी प्रतिबंधित कर दिया है। द्विपक्षीय संबंधों के इस माहौल में, भारत के साथ दोस्ती निभाने के विचार को चुनौती दी गई है।

कुछ चीनी नेटिजंस का मानना है कि चीन को भारत को सहायता नहीं देनी चाहिए, जिसने चीन को बार-बार चुनौती दी है, लेकिन अधिकांश चीनी नेटिजंस मानते हैं कि सीमा संघर्ष और मानवतावाद दो अलग-अलग चीजें हैं। एक जिम्मेदार बड़े देश के रूप में, चीन को अपने पड़ोसी देशों में आपदा आने पर मदद देनी ही चाहिए।

कुछ चीनी नेटिजंस का मानना है कि वायरस कोई सीमा या राष्ट्र नहीं जानता है। नई कोरोना महामारी तमाम दुनिया का दुश्मन है और गंभीर महामारी वाले देशों की मदद करना भी खुद की मदद कर रहा है। भारत चीन का सबसे महत्वपूर्ण पड़ोसी देश है और एक प्रमुख व्यापारिक भागीदार भी। जब भारत को दिक्कत से ग्रस्त है, तब चीन को हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठना चाहिए। और तो और, यदि भारत की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है, तो यह दुनिया में फैलने की संभावना भी है, और तब दुनियाभर में आर्थिक सुधार व्यर्थ हो जाएगा।

एक नेटिजन का कहना है, मुझे अच्छा लगता है कि यद्यपि पिछले एक-दो वर्षों में चीन बहुत अधिक अंतर्राष्ट्रीय दिक्कतों से ग्रस्त है, पर चीनी जनमत समुदाय अभी भी तर्कसंगतता बनाए रख सकता है और चीनी नेटिजन्स मानव जाति के आधार पर साझा भविष्य की दृष्टि में अंतर्राष्ट्रीय मामलों का विश्लेषण कर सकता है। वर्तमान में कुछ चीनी कंपनियों द्वारा दान किए गए ऑक्सीजन जनरेटर भारत को भेजना शुरू होने गया है, और कुछ चीनी चिकित्सा आपूर्ति कंपनियों को भी भारत से ऑर्डर मिले हैं। मुझे विश्वास है कि पूरे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के संयुक्त प्रयासों से भारत में मौजूदा समस्या जल्द ही गुजर जाएगी, और विश्व भर आर्थिक सुधार का लक्ष्य जरूर हासिल किया जाएगा।

(साभार : चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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