देश की राजधानी दिल्ली में डीजल सबसे महंगा ईंधन!

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राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पेट्रोल के दाम दो साल में पहली बार 80 रुपए प्रति लीटर के पार हो गए हैं।

 

इंडिया टीवी न्यूज़ डॉट इन पर छपी खबर के अनुसार, पेट्रोलियम विपणन कंपनियों ने शनिवार को एक बार फि‍र से पेट्रोल और डीजल के दामों में बढोतरी की है। यह लगातार 21वां दिन है, जब ईंधन के दाम में बढ़ोतरी की गई है।

 

पेट्रोलियम विपणन कंपनियों की अधिसूचना के मुताबिक, पेट्रोल कीमत में 25 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई है, वहीं डीजल के दाम 21 पैसे प्रति लीटर बढ़ाए गए हैं।

 

ताजा मूल्‍यवृद्धि के बाद दिल्‍ली में पेट्रोल का दाम 80.13 रुपए से बढ़कर 80.38 रुपए प्रति लीटर हो गया है। वहीं डीजल की कीमत 80.19 रुपए से बढ़कर 80.40 रुपए प्रति लीटर हो गई है।

 

इससे पहले शुक्रवार को कंपनियों ने पेट्रोल कीमत में जहां 21 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की थी, वहीं डीजल के दाम 17 पैसे प्रति लीटर बढ़ाए गए थे।

 

वाहन ईंधन के दाम देशभर में बढ़ाए गए हैं, लेकिन स्थानीय बिक्रीकर या मूल्यवर्धित कर (वैट) की वजह से विभिन्न राज्यों में इनकी कीमतों में अंतर होता है।

 

दिल्ली में पेट्रोल कीमतें दो साल में पहली बार 80 रुपए प्रति लीटर के पार निकली हैं। वहीं डीजल के दाम इस समय अपने सर्वकालिक उच्चस्तर पर हैं।

 

सितंबर, 2018 में पेट्रोल 80 रुपए प्रति लीटर के पर गया था। शनिवार को डीजल कीमतों में जहां लगातार 21वें दिन बढ़ोतरी हुई है, वहीं पेट्रोल के दाम 20 बार बढ़ाए गए हैं।

 

सात जून से पेट्रोल अबतक कुल 9.12 रुपये प्रति लीटर महंगा हुआ है। वहीं इस दौरान डीजल कीमतों में 11.10 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है।

 

पेट्रोल के मौजूदा दाम में करीब दो तिहाई हिस्सा विभिन्न करों का शामिल है। पेट्रोल के दाम में 32.98 रुपए केंद्रीय उत्पाद शुल्क और 17.71 रुपए प्रति लीटर स्थानीय कर अथवा वैट शामिल है।

 

इसी प्रकार डीजल के दाम में 63 प्रतिशत से अधिक करों का हिस्सा है। इसमें 31.83 रुपए प्रति लीटर केंद्रीय उत्पाद शुल्क और 17.60 रुपए प्रति लीटर वैट का हिस्सा है।

 

सरकार ने जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम गिर रहे थे तब 14 मार्च को पेट्रोल, डीजल दोनों पर उत्पाद शुल्क में तीन रुपए प्रति लीटर की वृद्धि की थी।

 

इसके बाद पांच मई को फिर से पेट्रोल पर रिकॉर्ड 10 रुपए और डीजल पर 13 रुपए उत्पाद शुल्क बढ़ाया गया। इससे सरकार को सालाना आधार पर दो लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा।

 

ईंधन की कीमतें 7 जून से बढ़ रही हैं जब तेल कंपनियों ने लॉक डाउन के दौरान 82 दिनों के अंतराल के बाद दैनिक मूल्य संशोधन तंत्र शुरू किया।

 

परिवहन ईंधन की कीमतों को अंतिम रूप से 16 मार्च को गतिशील मूल्य निर्धारण नीति के तहत संशोधित किया गया था और बाद में केवल मूल्य वृद्धि के कुछ उदाहरण थे, जब संबंधित राज्य सरकारें वैट या उपकर को बढ़ाती थीं।