नागरिकता कानून- बॉलीवुड की इन हस्तियों ने मुंबई में किया प्रदर्शन, लगाये आज़ादी के नारे

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संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ देशभर में विरोध-प्रदर्शन ने तेजी पकड़ ली है। खास बात यह है कि अब बॉलीवुड भी खुलकर इसके खिलाफ उतर आया है। बॉलीवुड की हस्तियों ने गुरुवार को मुंबई के क्रांति मैदान में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन किया। इसमें फिल्मकार फरहान अख्तर, अनुराग कश्यप, अदिति राव हैदरी और स्वरा भास्कर ने भाग लिया। खास बात यह है कि जेएनयू के पूर्व छात्र नेता कन्हैया कुमार की तर्ज पर अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने मुंबई में आजादी के नारे लगाए।

स्वरा भाष्कर ने तो मंच पर उस समय हलचल मचा दी, जब उन्होंने हल्ला बोल और आजादी के नारे जनता से लगवाने शुरू कर दिए। बता दें कि स्वरा मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ समय-समय पर अपनी आवाज बुलंद करती रहती हैं। स्वरा ने बिहार में तो लोकसभा चुनाव के दौरान कन्हैया कुमार के लिए जमकर प्रचार भी किया था।

गौरतलब है कि मुंबई में कल सीएए और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ प्रदर्शन में विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ता, छात्र और बॉलीवुड हस्तियां शामिल हुईं। प्रदर्शन डायरेक्टर कबीर खान, उनकी पत्नी मिनी माथुर, निर्देशक नीरज घायवान, निखिल आडवाणी, राकेश ओमप्रकाश मेहरा, अनुभव सिन्हा और अभिनेत्री स्वरा भास्कर, अभिनेता जावेद जाफरी, दानिश हुसैन, अर्जुन माथुर और सुशांत सिंह भी शामिल थे।

उधर, अभिनेता- फिल्म निर्माता फरहान अख्तर ने अगस्त क्रांति मैदान में पत्रकारों से कहा, ‘‘ देश का नागरिक होने और एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जिसने भारत के एक विचार के साथ जन्म लिया और बड़ा हुआ, यह महत्वपूर्ण है कि मैं अपनी आवाज उठाऊं… अगर सब कुछ ठीक है तो क्यों इतने लोग विरोध कर रहे हैं? यह केवल मुंबई में नहीं बल्कि दिल्ली, असम, बेंगलुरु और हैदराबाद में भी हो रहा है।’’

मशहूर अभिनेत्री शबाना आकामी और निर्देशक हंसल मेहता ने कहा कि वे शहर में नहीं हैं लेकिन प्रदर्शन में छात्रों के साथ है। गीतकार और लेखक जावेद अख्तर ने इतिहासकार रामचंद्र गुहा के साथ पुलिस की कथित बदसलूकी की ङ्क्षनदा की जिन्होंने बेंगलुरु में निषेधाज्ञा तोड़ी और प्रदर्शन में शामिल हुए। अख्तर ने ट्वीट किया, ‘‘ मैं महान बुद्धिजीवी माननीय रामचंद्र गुहा की गिरफ्तारी का विरोध करता हूं। यह महान भारत देश संकीर्ण राजनीतिक विचारों से ऊपर है। कुछ लोग सहमत नहीं हो सकते लेकिन उनकी आवाज को खामोश करने की कोशिश राष्ट्रीय शर्म है। हम कहां जा रहे हैं?’’